Wednesday, May 30, 2018
282 Devotees Donate Blood in Panipat
Tuesday, May 29, 2018
Press Clippings: Samarpan Diwas
Press Clippings: Samarpan Diwas
Monday, May 28, 2018
बच्चों को अन्धविश्वासी ना बनाये
बच्चों को अन्धविश्वासी ना बनाये
हमारे यहां पढ़ने वाले छात्रों को किताबों में पढ़ने के लिए जो मिलता है उस का उल्टा उन्हे अपने परिवार वाले, धर्मग्रंथो और धार्मिक गुरुओ से मिलता है ।इसी का नतीजा होता है कि एक पढ़ा लिखा इंसान भी एक बेवकूफ जैसा बरताव करता है ।
सोनू कक्षा 7 वीं का छात्र है। उस के गाँव मे यज्ञ हो रहा था । यज्ञ मे आए धर्मगुरु ने अपने प्रवचन मे बता रहे थे कि गंगा शिवजी जटाओ से निकलती है और भगीरथ उन्हे स्वर्ग से धरती पर लाये थे ।
प्रवचन खत्म होते ही सोनू ने पूछा महात्मा जी "मैंने तो किताब मे पढ़ा है कि गंगा हिमालय के गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है | इस पर महात्माओ ने कहा-अभी तुम बच्चे हो धर्म की बाते नहीं समझ पाओगे ।पास मे बैठे दूसरे लोगो ने भी उससे कहा की जब तुम बड़े हो जाओगे तो तुम्हें अपने आप इन सब बातो की जानकारी हो जाएगी |
दूसरे दिन सोनू ने अपनी क्लास मे टीचर से पूछा " सर आप जो पढाते है उस का उल्टा महात्मा जी बताते है"
टीचर ने कहा कि जब तुम बड़े हो जाओगे तब समझोगे | आज सोनू बड़ा हो गया है फिर भी इन बातो को समझने मे उसे मुश्किल हो रही है कि किसे वो सच माने और किसे झूठ।
*आकांक्षा इंटर* की छात्रा थी। एक दिन उसकी माँ ने उस से कहा "तुम नहा कर रोजाना सूर्य भगवान को जल चढ़ाया करो" इस से तुम्हें हर चीज मे कामयाबी मिलेगी। इस पर आकांक्षा बोली माँ आप को पता नहीं है कि सूर्य भगवान नहीं है | सूर्य सौर्य मण्डल का एक तारा है जो धरती से कई गुना बड़ा है।
इस पर आकांक्षा की माँ बोली "क्या वे सभी लोग बेवकूफ हैं।जो सूर्य देवता को जल चढ़ाते है आकांक्षा समझ नहीं पाई कि किताब की बाते सच माने या अपनी माँ की |
एक बार जब भूकम्प और तूफान आया तो उदयवीरवीर के दादा जी ने बताया कि " धरती शेषनाग के फन पर टिकी हुई है। और जब शेषनाग करवट बदलता है। तो वह हिलने लगती है। " उदयवीर ने अपने दादा को जवाब दिया " दादा जी मेरी किताब मे लिखा हुआ है।कि धरती की धुरी पर 23• डिग्री पर झुकी हुई है । जब दो टेक्टोनिक प्लेट्स आपस मे टकराती है तो भूकंप आता है । इस तरह के सैकड़ों उदाहरण हमारे समाज मे देखने को मिलते है।जो नई पीढ़ी को परेशानी में डाल देते हैं।
विज्ञान तर्क के आधार पर किसी बात को पुख्ता करता है ।ताकि विद्यालय मे पढ़ने वाले विधार्थी उसे समझे और अपनी जिंदगी मे उतारे। जबकि धर्म से जुड़ी किताबे यहां-वहां से इकठ्ठा की गई बातों का पुलिंदा होती हैं । जिन मे अंधविश्वास भरा होता है | इस से बच्चो को समझ मे नहीं आता वह किस पर विश्वास करें।
कुछ लोग कहते है हमारे पूर्वज इसे मानते थे इसलिए हम भी मानेंगे। तो हमारे पूर्वज जंगल मे नंगे भी घूमते थे ।तो आप अब क्यों नहीं घूमते क्यों शूट बूट पहनना पसंद करते है ।
Friday, May 25, 2018
Kids Divine - Ek Ruhani Muskaan
Wednesday, May 23, 2018
Photos, May 02: London, UK -Salvation Tour by Satguru Mata Ji
Photos, May 02: London, UK -Salvation Tour by Satguru Mata Ji
Photos, May 01: Birmingham, UK -Salvation Tour by Satguru Mata Ji
Photos, May 01: Birmingham, UK -Salvation Tour by Satguru Mata Ji
Tuesday, May 22, 2018
चाचा प्रताप सिंह महाराज जी की सेवा
लॉउडस्पीकर लगाने का किसी के पास काम करते थे और कही ऑफिस में कैज़ुअल जॉब भी करते थे...
सेवा प्रदान करो...
छोड़ने की सेवा करो...
रिक्शा लिया फिर उसी सेवा में लग गए...
बाबा जी याद तो आती है...
में गए...
में सिर्फ यही ख़याल आया...
सास तक सतगुरु बाबा जी के चरणो में सेवा लिप्त रहे...
Preparations for Samarapan Diwas Samagam in Full Swing
The Nirankari world will hold a series of special congregations and Samagams on Sunday May 13, 2018 to commemorate the Second Anniversary of Baba Hardev Singh Ji’s relinquishing his physical form and turning formless, as Samarapan Diwas. They will pay tributes to Baba Ji who will always be remembered as Love Personified and a crusader for Truth, peace and harmony. Devotees will also rededicate themselves to take his Mission of ‘A World Without Walls’ and ‘Harmony in Oneness’ to the heights he desired.
Saturday, May 19, 2018
समर्पण पर अध्यात्म की बाते
समर्पण पर अध्यात्म में बहुत कुछ कहा और सुना जाता है।कुछ आज की बाते ,कुछ पुरातन समय की बाते जो बताती है कि समर्पण के क्या फायदे है ।
दास आज सामान्य जीवन की वो बातें सांझा करेगा जो हम बचपन से देख देख कर बड़े हुए है ।
हम सबने शादी जरुर देखी होगी,एक लड़की जो बरसों बरस माता - पिता के लाड प्यार में पली बढ़ी ,वो एक दिन ऐसे घर में जाने को तैयार हो जाती है जहां वो किसी को नहीं जानती,उनका रहन - सहन,खान - पान,उनका नेचर,कुछ उसे नहीं पता होता है,फिर भी वो वहा जाने को तैयार होती है ।
शादी में लड़की बड़ी डरी सहमी सी,संशय के साथ एक नया जीवन जीने के लिए पहला कदम बढ़ाती है ।इन्हीं सब मनो भावो के साथ वो माता पिता को छोड़ कर नए घर में,नए परिवेश में प्रवेश करती है,जहा वो अभी एक दम नई है,अभी उसे अपने कल की खबर नहीं की कल का जीवन कैसा होगा,कैसा उसके साथ व्यवहार किया जायेगा ।
फिर भी वो सबसे पहले जो काम करती है वो है "समर्पण"।
वो अपने पति के प्रति पूर्ण समर्पित होती है,अपने को पति की दासी बना लेती है ।वो हर कुछ करने को राजी हो जाती है जो पति चाहता है ।धीरे धीरे सारे घर परिवार की वो लाडली बन जाती है ।वो कुछ नहीं मांगती पर वो सब कुछ उसे मिलने लगता है जो उसे चाहिए ।वो दासी बन कर रहती है लेकिन धीरे धीरे घर की मालकिन बना दिया जाता है।उसका समर्पण उसे घर परिवार का अहम सदस्य बना देता है,अब उसके चाहे बगैर घर में कुछ नहीं होता ।क्या करना है,क्या होना है अब उस से पूछा जाने लगता है ।वो ना कुछ मांगती है ना कोई अधिकार जतलाती है,फिर भी वही होता है जो वो चाह रही होती है ।
वो लड़की जो डरी सहमी सी आयी थी,आज उसके इशारे पर पूरा घर चल रहा होता है,ये सब होता है उसके "समर्पण" के कारण ।एक समर्पण ने उसे दासी से मालकिन बना दिया होता है ।
ये जीवन की सच्चाई है,जो हमेशा देखने को मिलता है,मिलता रहेगा ।
जरूरत है समर्पण की,जिसने भी समर्पण किया,चाहे वो कोई भी हो,उसका जीवन बदल गया ।
हम सब सत्गुरु के बच्चे है,सत्गुरु ने जो दात बक्सी है,जो ज्ञान बक्सा है,उससे हमारी जिन्दगी बदली है।
जीवन में अगर आनंद और खुशियों का आगमन होता है तो वो एक समर्पण के कारण ही हो पाता है ।
प्यार भरा धन निरंकार जी,
त्रुटियों को बक्स देना जी संतो..
Friday, May 18, 2018
एक लड़के ने कहा--- "बाबाजी, मैं कुछ भी करता हूँ, हमेशा असफल रहता हूँ...चाहे वो धंधा हो, नौकरी हो, या अपनी पर्सनल लाइफ...ऐसा क्यों बाबाजी ?"बाबाजी ने कहा ----
और आगे, जो कहा, उससे सारी संगत शर्मसार हो गई, हालांकि उनको शर्मसार करने उनका ध्येय नहीं था, एक हकीकत कही....उन्होंने कहा "मैं कहाँ सफल हुआ हूँ अपने मकसद में ? मैं भी तो असफल हुन बेटा.... इतने सत्संगी 'नामदान" ले चुके हैं, रूहानियत का कोर्स करना चाहते हैं, पर कौन पहुंचा अपनी मंज़िल पर ? यह मेरी असफलता नहीं तो और क्या....पर अब भी पूरी कोशिश कर रहा हूँ, कभी न कभी कोई तो मंज़िल पर पहुंचेगा"
बाबा जी की याद में समर्पित कुछ लाइन
क्यो सज़ा दी तुमने खुद को, जबकि गलती हमारी थी
हम करते रहे गुनाह, तू बख्शता रहा हमको
खुदा से भी बढ़कर, ये फितरत तुम्हारी थी
बड़ी सुनी है ये बगिया, तुम्हारे जाने के बाद से
क्योकि
हर फूल से चेहरे पर, मुस्कुराहट तुम्हारी थी
अपने परिवार से भी बढ़कर, तुमने प्यार दिया हमको
हम करते रहे शिकवे-गिले,ये मनमत हमारी थी
हमारे हर दुख: से आप यू, होते रहे परेशान
हम समझ न पाए आपका दुख,ये मूर्खता हमारी थी
डांट देती है माँ भी, बच्चे की गलती पे अक्सर
ओर तुमने हर गुनाह बक्शा, ऐसी ममता तुम्हारी थी
हमारे दिलों में है आज भी कही नफरते ज़िंदा
तुमने बस प्यार दिया सबको, ऐसी फितरत तुम्हारी थी
तुमने सतगुरु" होकर भी मानी थी,हर बात हमारी
मगर हम समझ न पाए तेरी बात,ये कैसी भक्ति हमारी थी
आप होकर दुनिया के मालिक भी रहे, बस दास बनकर ही
ओर हम दातो को पाकर भूल गए, क्यl औकात हमारी थी
नही जायेगा बक्शा अगर,तू अब भी नही माना
सभी को प्यार दो, बस यही इक चाहत तुम्हारी थी
धन निरंकार जी
इस संसार में....
सबसे बड़ी सम्पत्ति "बुद्धि "
सबसे अच्छा हथियार "धेर्य"
बल्कि "सच्चाई" यह है कि
"सहनशीलता" कम हो गयी है
जिसको" सहना" आ गया
उसको" रहना" आ गया """
सबसे अच्छी सुरक्षा "विश्वास"
सबसे बढ़िया दवा "हँसी"
और आश्चर्य की बात कि
"ये सब निशुल्क हैं "
"नहीं मिलती"
"सब कुछ मिलता है लिकेन माँ"
"नही मिलता "
"माँ ऐसी होती है दोसतों"
"जो जिंदगी में फिर" "नही मिलती"
"खुश रखा करो उस माँ को"
"फिर देखो जन्नत कहां"
"नही मिलती"
कर्ज चुकाया जा नहीं सकता हरदेव तेरे एहसानों का..
69वें निरंकारी संत समागम( 19-20-21नवंबर)में “सत्गुरु बाबा हरदेव सिंह जी महाराज” को समर्पित कवि दरबार में शीर्षक
कर्ज चुकाया जा नहीं सकता,हरदेव तेरे एहसानों का।।———–
बिना रूह के प्राण अधूरे,तुम संग सजे मन अरमानों का।
कर्ज चुकाया जा नहीं सकता,हरदेव तेरे एहसानों का।।———-
नहीं जगत में कोई अपना ,बिन तेरे हम जैसे बेगानों का।।
कर्ज चुकाया जा नहीं सकता,हरदेव तेरे एहसानों का।।——————
भवसागर से पार उतारा,अनजान सफर हम अनजानों का ।।
कर्ज चुकाया जा नहीं सकता,हरदेव तेरे एहसानों का।।——————–
अपार अनंत असीम कृपा और आँगन सजा वरदानों का ।।
कर्ज चुकाया जा नहीं सकता,हरदेव तेरे एहसानों का।।——————–
20/11/16
कर्ज चुकाया जा नहीं सकता हरदेव तेरे एहसानों का..
🌸 समर्पण दिवस ( दिल्ली ) 🌸
सतगुरु के सेवादारों को सलाम
सेवादारों के जज्बे को सलाम
जैसा कि हम सब को पता है कि आज समर्पण दिवस के दिन मौसम खराब हो जाने की वजह से ग्राउंड नंबर 2 में, समागम के लिए कि गई व्यवस्था, तेज आंधी के कारण बिखर गई पर इस सब के बावजूद देखने मै यही आया कि भले ही पंडाल का टेंट उखड़ गया लेकिन सेवादल के भाई बहनों का उत्साह और सतगुरु के प्रति समर्पण उखड़ने नहीं पाया
Wednesday, May 16, 2018
सेवा, सत्संग, नामस्मरण आयुष्यात कधी करनार जर
20 वर्षे - - आता शिक्षण चालू आहे … नंतर आहेच … !!
25 वर्षे -- नोकरीच्या शोधात आहे.
30 वर्षे -- लग्न करायचं आहे.
35 वर्षे -- मुलं लहान आहेत
40 वर्ष -- थोडं "सेटल" होऊ द्या.
45 वर्षे -- वेळच मिळत नाही हो.
50 वर्षे -- मुलगा / मुलगी दहावीला आहे.
55 वर्ष -- प्रकृती बरी नसते.
60 वर्षे -- मुलामुलींचे लग्न करायची.
65 वर्षे -- ईच्छा तर खूप आहे, पण गुडघ्याचा त्रास खूप वाढलाय.
70 वर्ष-- मेला.
तेंव्हा - - - आधी जगा ते पण माणुस होऊन - - -बाकी सर्व इथेच राहणार - - - - -
किसान और चट्टान
[ज़िन्दगी बदलने वाली हिंदी कहानियां]
” मित्रों “, किसान बोला , ” ये देखो ज़मीन से निकले चट्टान के इस हिस्से ने मेरा बहुत नुक्सान किया है, और आज हम सभी को मिलकर इसे जड़ से निकालना है और खेत के बाहर फ़ेंक देना है.”
उम्मीद हमारे भविष्य का निर्माण करती हे
एक घर मे पांच दिए जल रहे थे!एक दिन पहले दिए ने कहा!इतना जलकर भी मेरी रोशनी की लोगो को कोई कदर नही है!तो बेहतर यही होगा कि मैं बुझ जाऊं!और वह दीया खुद को व्यर्थ समझ कर बुझ गया! जानते है!वह दिया कौन था!वह दीया था!उत्साह का प्रतीक!
उत्साह शांति और अब हिम्मत के न रहने पर चौथे दीए ने बुझना ही उचित समझा!चौथा दीया समृद्धि का प्रतीक था! सभी दीए बुझने के बाद केवल पांचवां दीया अकेला ही जल रहा था!
तब उस घर मे एक लड़के ने प्रवेश किया!उसने देखा कि उस घर मे सिर्फ एक ही दीया जल रहा है!वह खुशी से झूम उठा ... चार दीए बुझने की वजह से वह दुखी नही हुआ बल्कि खुश हुआ!यह सोचकर कि कम से कम एक दीया तो जल रहा है!
उसने तुरंत पांचवां दीया उठाया और बाकी के चार दीए फिर से जला दिए!
इसलिए अपने घर मे अपने मन मे हमेशा उम्मीद का दीया जलाए रखिये!चाहे सब दीए बुझ जाए लेकिन उम्मीद का दीया नही बुझना चाहिए!ये एक ही दीया काफी है!बाकी सब दीयों को जलाने के लिए!
सतगुरु माता सविन्दर हरदेव जी महाराज के प्रवचन (13-मई-18,रविवार, ग्राउंड नंबर 8, नई दिल्ली🇮🇳)
उन्होंने किस प्रकार सबको भरपूर प्यार और आशिर्वाद दिया,
इस दुनिया मे कैसे जीना है खुद जी के हमको दिखाया,
जैसे एक अच्छा टीचर होता है,
वो basic concept अपने subject के इतने clear कर देता है और एक फॉर्मूला को अलग-अलग ढंगो से इतना अच्छा समझा देता है कि हम फिर उसे किसी भी चीज़ के लिये use कर सकते है,
इसी प्रकार simple words और simple लाइफस्टाइल से बाबा जी ने हमको जीना सिखाया ,
He always taught us to have a positive approach towards each and every thing ,
अभी पीछे ही अमेरिका में वो महापुरष याद करा रहे थे
कि जब 4-5 साल पहले बाबा जी के साथ उधर जाना हुआ तो
एक शहर में हम पहुँचे शाम के टाइम और उधर महापुरषों ने अपनी बेसमेंट में एक welcome प्रोग्राम रखा हुआ था,
और जैसे ही बाबा जी स्टेज पे विराजमान हुए,
उनकी बेसमेंट का AC बंद हो गया ,
बेसमेंट भरी हुई थी और इतनी गर्मी हो गई जिसके हाथ मे जो था उसी से अपने आप को वो हवा करने लग पड़े,
तो बाबा जी ने इशारा किया कि mic स्टेज पे ले आओ ताकि विचार के बाद नमस्कार करके सब बाहर जा पाये ,
बाबा जी ने फरमाया ,
_'You have all given me a warm welcome'_
कि वो गर्मी में बैठे है,
ऐसा ही जीवन बाबा जी ने हमसे चाहा ,
ऐसी ही भक्ति चाही ,
बाबा जी ने समझया भक्ति कभी शर्तो पे नही होती,
भक्त हमेशा सब कुछ निरंकार पे छोड़ के इसकी रजा में रहता है,
जिन चीज़ों को हमे नही करने को समझाया वो हमने कभी नही करनी,
_'A NO is a NO always'_
वहाँ पर सब बच्चो ने alcohol आर्डर करी और इसने ज्यूस आर्डर कर दिया, तो बच्चे उसकी मज़ाक उड़ाने लग पड़े,
'अरे! आप इतने बड़े हो गये हो, alcohol नही पीते',
नही! हमारे मिशन में अल्कोहल मना है,
हमारे गुरु का संदेश है किसी ने शराब को हाथ नही लगाना
और
_नही लगाना तो नही लगाना_
_A NO is a NO_,
अक्सर हम कह देते है कि अगर हम ऐसा करेंगे तो सोसाइटी में लोग हमारा मज़ाक उड़ायेंगे,
कि eventually her friends started respecting her and they kept telling everybody ,
कि ये बच्ची को देखो इसके मिशन में अगर मना है तो इसकी faith इतनी strong है, इसका विश्वास इतना पक्का है,
कि अगर नही तो नही है उसके लिए
and they all started respecting her for it,
बचपन से ही उस बच्चे के अंदर सेवा की लगन
और सत्संग की लगन, कोशिश उसकी होती थी
कि कभी भी संगत miss ना होऐ और सिर्फ संगत में संगत के लिये नही जाना,
पर जो-जो शिक्षाएँ होती थी, वो अपने जीवन मे भी ढालता था
औऱ आगे भी उसकी कोशिश होती थी कि अपने फ्रेंड्स वगरह सब तक,
इस मिशन की शिक्षाओं को वह पहुँचा पाये ,
जैसा जीवन बाबा जी ने हमसे चाहा,
जैसा मिशन बाबा जी ने हमसे चाहा ,
निरंकार से अरदास है,
हर कोई वैसा जीवन जी पाये और अपनी जिंदगी में आगे बढ़े ।