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Tuesday, May 22, 2018

चाचा प्रताप सिंह महाराज जी की सेवा



चाचा प्रताप सिंह महाराज जी
लॉउडस्पीकर लगाने का किसी के पास काम करते थे और कही ऑफिस में कैज़ुअल जॉब भी करते थे...
एक बार बाबा गुरुबचन सिंह महाराज जी के सत्संग में लॉउडस्पीकर लगाने के लिए आये हुए थे...
वहा पर बाबा जी के विचार सुने, बहुत ही सुन्दर लगे, मन को भा गए बाबा जी के वचन...
सत्संग के बाद बाबा जी के चरणो में अरदास करने लगे महाराज जी दास भी आपजी के साथ रोजाना आना चाहता है...
बाबा जी ने कहा की ठीक हैं आपजी आ जाना...
अगले दिन ही बाबा गुरुबचन सिंह महाराज जी के पास पहुंच गए..
बाबा जी आपजी मुझे कोई
सेवा प्रदान करो...
बाबा जी ने कहा कि...
यह रिक्शा खड़ा है आप गुरु-सिखो को स्टेशन से यहाँ पर, यहाँ के गुरु-सिखो को स्टेशन पर
छोड़ने की सेवा करो...
एक सप्ताह गुजर गया...
फिर बाबा जी की हुज़ूरी में पहुंचे...
बाबा जी अब में घर जाना चाहता हु मुझे घर वालो की याद आ रही है...
बाबा जी ने कहा : बस केवल एक सप्ताह की सेवा करनी थी...?
बस बाबा जी का इतना कहना था
रिक्शा लिया फिर उसी सेवा में लग गए...
बहुत दिनों तक सेवा करते रहे,, तब एक दिन बाबा जी ने उने बुलाया और कहा की अब घर की याद नही आती...?
उन्होंने बोला :
बाबा जी याद तो आती है...
तब बाबा जी बोले जा गुरु-सिख अपने घर पर जा, तेरी सेवा परवान हो गई...
अभी घर के रास्ते पर जाते हुए मन में ध्यान आया...
मै तो ना तो नौकरी से छूटी लेकर आया अब तो मुझे नौकरी से निकाल भी दिया होगा...
मन में कई विचार आ रहे थे… रेलवे स्टेशन से सीधे ऑफिस के लिए चले गए...
ऑफिस में पहुचने पर उनके एक मित्र ने कहा कि प्रताप सिंह मुबारक हो...
वह एकदम सकपका गए...
पता नही मेरा मजाक उड़ा रहा है...
मगर जैसे भी बॉस के कमरे
में गए...
बॉस ने उनको मुबारकबाद दी...
और कहा की प्रताप सिंह तुम्हारी नौकरी पक्की हो गयी है...
ऑफिस से घर पर आते हुए मन
में सिर्फ यही ख़याल आया...
मैंने तो बाबाजी की हुज़ूरी में एक महीने की सेवा की...
तब मेरी नौकरी पक्की हो गयी...
कितने सालो से इस जॉब में था मगर नौकरी पक्की नही हुई थी...
यदि मै सतगुरु बाबा जी के चरणो में ही सेवा करू तो मेरा जीवन तर जायेगा...
अगले दिन ही सतगुरु बाबा जी की हुज़ूरी में आ गए और अंतिम
सास तक सतगुरु बाबा जी के चरणो में सेवा लिप्त रहे...
ऐसे महान गुरु-सिख को लाख-लाख बार प्रणाम...
तूं ही निरंकार...
मैं तेरी शरण हा...
मैनू बख्श लो...
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