बाबा जी की याद में समर्पित कुछ लाइन
क्यो रूठ गए तुम हमसे, हमको जरूरत तुम्हारी थी
क्यो सज़ा दी तुमने खुद को, जबकि गलती हमारी थी
हम करते रहे गुनाह, तू बख्शता रहा हमको
खुदा से भी बढ़कर, ये फितरत तुम्हारी थी
बड़ी सुनी है ये बगिया, तुम्हारे जाने के बाद से
क्योकि
हर फूल से चेहरे पर, मुस्कुराहट तुम्हारी थी
अपने परिवार से भी बढ़कर, तुमने प्यार दिया हमको
हम करते रहे शिकवे-गिले,ये मनमत हमारी थी
हमारे हर दुख: से आप यू, होते रहे परेशान
हम समझ न पाए आपका दुख,ये मूर्खता हमारी थी
डांट देती है माँ भी, बच्चे की गलती पे अक्सर
ओर तुमने हर गुनाह बक्शा, ऐसी ममता तुम्हारी थी
हमारे दिलों में है आज भी कही नफरते ज़िंदा
तुमने बस प्यार दिया सबको, ऐसी फितरत तुम्हारी थी
तुमने सतगुरु" होकर भी मानी थी,हर बात हमारी
मगर हम समझ न पाए तेरी बात,ये कैसी भक्ति हमारी थी
आप होकर दुनिया के मालिक भी रहे, बस दास बनकर ही
ओर हम दातो को पाकर भूल गए, क्यl औकात हमारी थी
नही जायेगा बक्शा अगर,तू अब भी नही माना
सभी को प्यार दो, बस यही इक चाहत तुम्हारी थी
धन निरंकार जी
क्यो सज़ा दी तुमने खुद को, जबकि गलती हमारी थी
हम करते रहे गुनाह, तू बख्शता रहा हमको
खुदा से भी बढ़कर, ये फितरत तुम्हारी थी
बड़ी सुनी है ये बगिया, तुम्हारे जाने के बाद से
क्योकि
हर फूल से चेहरे पर, मुस्कुराहट तुम्हारी थी
अपने परिवार से भी बढ़कर, तुमने प्यार दिया हमको
हम करते रहे शिकवे-गिले,ये मनमत हमारी थी
हमारे हर दुख: से आप यू, होते रहे परेशान
हम समझ न पाए आपका दुख,ये मूर्खता हमारी थी
डांट देती है माँ भी, बच्चे की गलती पे अक्सर
ओर तुमने हर गुनाह बक्शा, ऐसी ममता तुम्हारी थी
हमारे दिलों में है आज भी कही नफरते ज़िंदा
तुमने बस प्यार दिया सबको, ऐसी फितरत तुम्हारी थी
तुमने सतगुरु" होकर भी मानी थी,हर बात हमारी
मगर हम समझ न पाए तेरी बात,ये कैसी भक्ति हमारी थी
आप होकर दुनिया के मालिक भी रहे, बस दास बनकर ही
ओर हम दातो को पाकर भूल गए, क्यl औकात हमारी थी
नही जायेगा बक्शा अगर,तू अब भी नही माना
सभी को प्यार दो, बस यही इक चाहत तुम्हारी थी
धन निरंकार जी