एक लड़के ने कहा--- "बाबाजी, मैं कुछ भी करता हूँ, हमेशा असफल रहता हूँ...चाहे वो धंधा हो, नौकरी हो, या अपनी पर्सनल लाइफ...ऐसा क्यों बाबाजी ?"
बाबाजी ने कहा ---- "बेटा, असफलताओं से घबराओ मत...ये सब कर्मो का हिसाब किताब है, तुम अपनी मेहनत करते रहो बस"...
और आगे, जो कहा, उससे सारी संगत शर्मसार हो गई, हालांकि उनको शर्मसार करने उनका ध्येय नहीं था, एक हकीकत कही....उन्होंने कहा "मैं कहाँ सफल हुआ हूँ अपने मकसद में ? मैं भी तो असफल हुन बेटा.... इतने सत्संगी 'नामदान" ले चुके हैं, रूहानियत का कोर्स करना चाहते हैं, पर कौन पहुंचा अपनी मंज़िल पर ? यह मेरी असफलता नहीं तो और क्या....पर अब भी पूरी कोशिश कर रहा हूँ, कभी न कभी कोई तो मंज़िल पर पहुंचेगा"
और आगे, जो कहा, उससे सारी संगत शर्मसार हो गई, हालांकि उनको शर्मसार करने उनका ध्येय नहीं था, एक हकीकत कही....उन्होंने कहा "मैं कहाँ सफल हुआ हूँ अपने मकसद में ? मैं भी तो असफल हुन बेटा.... इतने सत्संगी 'नामदान" ले चुके हैं, रूहानियत का कोर्स करना चाहते हैं, पर कौन पहुंचा अपनी मंज़िल पर ? यह मेरी असफलता नहीं तो और क्या....पर अब भी पूरी कोशिश कर रहा हूँ, कभी न कभी कोई तो मंज़िल पर पहुंचेगा"