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Monday, May 28, 2018

बच्चों को अन्धविश्वासी ना बनाये

बच्चों को अन्धविश्वासी ना बनाये

       हमारे यहां पढ़ने वाले छात्रों को किताबों में पढ़ने के लिए जो मिलता है उस का उल्टा उन्हे अपने परिवार वाले, धर्मग्रंथो और धार्मिक गुरुओ से मिलता है ।इसी का नतीजा होता है कि एक पढ़ा लिखा इंसान भी एक बेवकूफ जैसा बरताव करता है ।

सोनू कक्षा 7 वीं का छात्र है। उस के गाँव मे यज्ञ हो रहा था । यज्ञ मे आए धर्मगुरु ने अपने प्रवचन मे बता रहे थे कि गंगा शिवजी जटाओ से निकलती है और भगीरथ उन्हे स्वर्ग से धरती पर लाये थे ।

प्रवचन खत्म होते ही सोनू ने पूछा महात्मा जी "मैंने तो किताब मे पढ़ा है कि गंगा हिमालय के गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है | इस पर महात्माओ ने कहा-अभी तुम बच्चे हो धर्म की बाते नहीं समझ पाओगे ।पास मे बैठे दूसरे लोगो ने भी उससे कहा की जब तुम बड़े हो जाओगे तो तुम्हें अपने आप इन सब बातो की जानकारी हो जाएगी |

दूसरे दिन सोनू ने अपनी क्लास मे टीचर से पूछा " सर आप जो पढाते है उस का उल्टा महात्मा जी बताते है"

टीचर ने कहा कि जब तुम बड़े हो जाओगे तब समझोगे | आज सोनू बड़ा हो गया है फिर भी इन बातो को समझने मे उसे मुश्किल हो रही है कि किसे वो सच माने और किसे झूठ।

*आकांक्षा इंटर* की छात्रा थी। एक दिन उसकी माँ ने उस से कहा "तुम नहा कर रोजाना सूर्य भगवान को जल चढ़ाया करो" इस से तुम्हें हर चीज मे कामयाबी मिलेगी। इस पर आकांक्षा बोली माँ आप को पता नहीं है कि सूर्य भगवान नहीं है | सूर्य सौर्य मण्डल का एक तारा है जो धरती से कई गुना बड़ा है।
इस पर आकांक्षा की माँ बोली "क्या वे सभी लोग बेवकूफ हैं।जो सूर्य देवता को जल चढ़ाते है आकांक्षा समझ नहीं पाई कि किताब की बाते सच माने या अपनी माँ की |

एक बार जब भूकम्प और तूफान आया तो उदयवीरवीर के दादा जी ने बताया कि " धरती शेषनाग के फन पर टिकी हुई है। और जब शेषनाग करवट बदलता है। तो वह हिलने लगती है। " उदयवीर ने अपने दादा को जवाब दिया " दादा जी मेरी किताब मे लिखा हुआ है।कि धरती की धुरी पर 23• डिग्री पर झुकी हुई है । जब दो टेक्टोनिक प्लेट्स आपस मे टकराती है तो भूकंप आता है । इस तरह के सैकड़ों उदाहरण हमारे समाज मे देखने को मिलते है।जो नई पीढ़ी को परेशानी में डाल देते हैं।

विज्ञान तर्क के आधार पर किसी बात को पुख्ता करता है ।ताकि विद्यालय मे पढ़ने वाले विधार्थी उसे समझे और अपनी जिंदगी मे उतारे। जबकि धर्म से जुड़ी किताबे यहां-वहां से इकठ्ठा की गई बातों का पुलिंदा होती हैं । जिन मे अंधविश्वास भरा होता है | इस से बच्चो को समझ मे नहीं आता वह किस पर विश्वास करें।

कुछ लोग कहते है हमारे पूर्वज इसे मानते थे इसलिए हम भी मानेंगे। तो हमारे पूर्वज जंगल मे नंगे भी घूमते थे ।तो आप अब क्यों नहीं घूमते क्यों शूट बूट पहनना पसंद करते है ।