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Friday, April 27, 2018

बाबा हरदेव सिंह जी

बाबा हरदेव सिंह जी


पूरा नाम – बाबा हरदेव सिंह (निरंकारी बाबा, भोला बाबा )
जन्म – 23 फरवरी 1954
ब्रह्मलीन – 13 मई  2016
पत्नी – सविन्दर हरदेव कौर
पिता – बाबा गुरुबचन सिंह
माता  – माता कुलवंत कौर
जन्म स्थान – दिल्ली
बाबा हरदेव सिंह – संत निरंकारी मिशन के प्रमुख (1980-2016), अध्यात्मिक सद्गुरु
निरंकारी बाबा हरदेव सिंह
संत निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज एक अध्यात्मिक सद्गुरु (spiritual teacher) थे, जिन्होंने पूरी दुनिया में अमन और शांति का सन्देश दिया बाबा हरदेव सिंह (nirankari baba ji ) जी ने साल 1980 से लेकर 2016 तक संत निरंकारी मिशन के प्रमुख पद पर रहकर मानवता की सेवा की । और जन जन तक मानव कल्याण का सन्देश दिया, उन्होंने पूरी दुनिया को सन्देश दिया कि मानवता ही हर धर्म का आधार है, और मानवता का धर्म ही सर्वोपरि है सद्गुरु बाबा हरदेव सिंह जी ने सभी धर्मो के इंसानों को एक रंग में रंगने की अमूल्य कोशिश की ।
24 अप्रैल 1980 को जब बाबा गुरुबचन सिंह जी अपने भक्तो को अहिंसा और प्रेम की राह दिखा रहे थे तब हिंसक प्रवृति ने उनकी हत्या कर दी। और बाबा जी के बलिदान से इंसानियत चीख उठी उसके बाद  27 अप्रैल 1980 को बाबा हरदेव सिंह जी ने संत निरंकारी मिशन की कमान संभाली, बाबा हरदेव सिंह जी ने बाबा बूटा सिंह जी के द्वारा शुरू की गयी निरंकारी परम्परा के उस वृक्ष को संभाला जिस पर बाबा अवतार सिंह जी की अवतार बाणी पुष्प खिल रहे थे। nirankari baba ji जी ने संत निरंकारी मिशन को सिर्फ देश ही नहीं पूरी दुनिया में फैलाया और आज संत निरंकारी मिशन के 27 देशो में अपनी संगत हैं। बाबा जी ने   सिर्फ मिशन ही नहीं बल्कि कैसे ऐसे सामाजिक कार्यो में भी समाज की सेवा की जिनसे इंसानियत जिन्दा हो उठे और दुनिया में भाईचारा फ़ैल सके ।
मगर दुर्भाग्यवश 13 मई  2016 को केनाडा में एक कार एक्सिडेंट में बाबा जी का निधन हो गया और वे अपने पंचतत्व के शरीर को त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए संत  निरंकारी मंडल के प्रमुख बाबा हरदेव सिंह जी ने इंसानियत प्रेम और भाईचारे और इंसानियत की सेवा के लिए जितना कुछ किया है उसको भुलाया नहीं जा सकता इसीलिए कहते हैं ।
“अहसान चुकाया जा नहीं सकता हरदेव तेरे अहसानों का”
बाबा हरदेव का शुरुवाती जीवन
निरंकारी बाबा सद्गुरु हरदेव सिंह जी महाराज का जन्म 23 फरवरी सन् 1954 को दिल्ली में बाबा गुरुबचन(पिता) और कुलवंत कौर (माता) के घर में हुआ बाबा हरदेव अपनी चार बहनों के एकलौते भाई थे।  बाबा हरदेव सिंह जी शुरुवाती पढाई रोसरी पब्लिक स्कूल दिल्ली से हुई तथा बाद की शिक्षा पटियाला के यादवेन्द्र स्कूल से हुई बाबा जी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा हासिल की । वे बहुत ही सरल और सहज स्वाभाव के थे उनकी इस सादगी और अध्यात्मिक सोच के कारण उनके दोस्त उनको भोला बाबा भी कहते थे ।
घर में अध्यात्म की ज्ञान गंगा बह रही थी और अध्यात्म के उसी ज्ञान में डुबकी लगाकर nirankari baba ji बाबा हरदेव सिंह जी ने वर्ष 1971 में निरंकारी सेवा दल ज्वाइन करके लोगो की सेवा करना शुरू कर  दिया , 14 नवम्बर 1975 को उन्होंने अपने पारिवारिक जीवन की शुरुवात की और निरंकारी भक्तो के परिवार से जुडी सुंदर शुशील और कर्मठ सविन्दर जी को अपने जीवन साथी के रूप में अपनाया और इस तरह से उनके   सफ़र में हमसफ़र जुड़ गया और पूरा निरंकारी समुदाय ख़ुशी से झूम उठा ।
लेकिन जिस तरह एक सिक्के के दो पहलु होते हैं उसी तरह जिदगी में भी कुछ पता नहीं होता किस पल ख़ुशियां आ जाये और किस पल गमो का पहाड़ टूट पड़े 24 अप्रैल 1980 को जब गुरुबचन सिंह जी अपने भक्तो को अहिंसा की राह पर हर एक मानव की सेवा और कदर करने का सन्देश दे रहे थे तब हिंसक प्रवृति के लोगो ने उनकी हत्या कर दी । बाबा जी के बलिदान से हर तरफ हाहाकार मच गया और हर तरफ एक बोझल सन्नाटा छा गया और बाबा हरदेव सिंह जी का ईस दुखमयी घडी से सद्गुरु बनने का महान सफ़र शुरू हो गया बाबा हरदेव सिंह अध्यात्मिक सफ़र 
कितने भी कठिन परीक्षा क्यों न हो सिद्ध पुरुष उस पर खरे उतारते हैं बाबा हरदेव सिंह जी के सामने भी ऐसी ही परिस्थिति थी 27 अप्रैल 1980 को साध सांगत की सेवा करने वाले बाबा हरदेव सिंह जी को सत्य गुरु का चोला पहना  दिया गया। और बाबा हरदेव सिंह जी   को निराश हताश और शोकाकुल दिलो  की रहनुमाई सौंप दी गई। और बाबा हरदेव सिंह जी ने बाबा बूटा सिंह जी के द्वारा शुरू की गई निरंकारी परंपरा के उस वृक्ष को संभाला जिस पर बाबा अवतार सिंह जी की अवतार वाणी के पुष्प खिल रहे थे जिसे बाबा गुरुबचन सिंह ने अपने लहू से सींचा था यह एक कठिन कार्य था।  हिंसा के शिकार भक्तो को अहिंसा का ज्ञान देना आज के ज़माने में जब धर्म के नाम पर अधर्म का बोल बाला हो हर तरफ अशांति के विशाल नाग फन लहरा रहे हों, nirankari baba ji बाबा हरदेव सिंह जी के वचनों का अलग ही महत्व है ।बाबा हरदेव सिंह जी निरंकारी मिशन के चौथे प्रमुख बने ।
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भक्ति और इन्सान
nirankari baba ji  बाबा जी हमेशा वसुधैवकुटुम्बकम् के उसूलो का प्रचार करते थे उनका कहना था की इंसानियत की हर धर्म की बुनियाद और आधार है। यही निरंकार है जो हर इंसान के अन्दर है । इस लिए हर इंसान की कद्र करो और हर इंसान की सेवा करो,  निरंकारी समुदाय में हिन्दू मुस्लिम, सिक्ख और इसाई चारो धर्मो के लोग शामिल है, जिनकी संख्या करीब 2 करोड़ है । बाबा हरदेव जी के वचनों और कठिन पर्यसो के बाद आज निरंकारी बाबा ने दुनिया के 27 देशो में अपने  संत निरंकारी मिशन के अस्तित्व को स्थापित करके अमन और शांति का पैगाम  दिया ।
संत निरंकारी मिशन इंसानों के लिए वो दर है जहाँ निरंकार (formless god) को आधार मानकर न कोइ जात-पात देखि जाती है ना किसी का धर्म देखा जाता है और ना ही किसी की पदवी बस एक चीज देखि जाती है तो वो है “इंसानियत” ।
बाबा हरदेव सिंह आदेश से निम्न क्षेत्रो में उनके भक्तो द्वारा सेवा की गयी
रक्त दान
वृक्षारोपण
फ्री हेल्थ चेक उप सेवा
स्वछता
स्कूल
कॉलेज
आपदा में धन राशी दान
महिला व युवा सशक्तिकरण
सभी क्षेत्रो में निरंकारी मिशन द्वारा फ्री सेवा की गयी और इनको समाज और सरकार द्वारा खूब सराहा गया ब्लड डोनेशन में निरंकारी मिशन की बहुत बड़ी भूमिका है। जिसको साल 2016 में गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया क्योंकि बाबा हरदेव कहते थे
“खून नसों में दौड़ना चाहिए नालियों में नहीं “
निधन
सद्गुरु बाबा हरदेव सिंह पूरी दुनिया में रह रहे निरंकारी समुदाय तथा सांसारिक लोगो को अमन और शांति का सन्देश देकर, लगातार बचपन से इंसानियत का पैगाम देकर, दुनिया में भाईचारे और मिलवर्तन का सन्देश देकर 13 मई 2016 को मॉट्रियल कनाडा में एक कार एक्सिडेंट में इस पञ्च तत्वों के शरीर को त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए। और और दुनिया में प्यार प्रेम भाईचारा मिलवर्तन इंसानियत सिखाने वाला एक मसीहा फिर इस दुनिया से अलविदा कह गया nirankari baba ji  सिंह जी महराज के इस अकस्मात् निधन पर राष्ट्र पति प्रणव मुखर्जी, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा सोनिया गांधी व अन्य लोगों ने  दुःख जताते हुए उनको श्रधांजलि दी । 17 मई 2016 को, बाबा हरदेव सिंह जी की पत्नी सविन्दर कौर जी को मिशन का पांचवां प्रमुख चुना गया । और सद्गुरु बाबा की जिम्मेदार उनको सौपी गयी 18 मई 2016 को निगंबोध श्मशान घाट में  को उनका अंतिम संस्कार करके उनको अश्रुपूर्ण श्रधांजलि दी गयी ।
निरंकारी बाबा हरदेव सिंह (nirankari baba ji ) जी का मानव और मानवता को समर्पित जीवन हमें जीवन जीने की, इंसानों से प्यार प्रेम करने की सीख देता है, और सभी इंसानों के साथ मिलकर भाईचारे के साथ रहना चाहिए। क्योंकि धर्म के नाम पर यदि हम लड़ने लग जाये तो फिर हम मंदिर मस्जिद, भगवान्, अल्लाह को भी बदनाम करेंगे, इसलिए यह माने की सभी एक ही निरंकार परमत्मा की संतान है और हम सब एक ही इश्वर के बच्चे हैं ।
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धन निरंकार जी