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Thursday, April 19, 2018

बाबा गुरुवचन सिंह जी अपने समय काल में निरंकारी मिशन कया परिवर्तन ला दिए तो उन्हें युगप्रवर्तक-कहा जाने लगा !


बाबा गुरुवचन सिंह जी अपने समय काल में निरंकारी मिशन कया परिवर्तन ला दिए तो उन्हें युगप्रवर्तक-कहा जाने लगा !



अप्रैल के महीना आते ही युगप्रवर्तक बाबा गुरुवचन सिंह की याद तरोताजा हो जाती है !जिनको दिसम्बर 1962 में शाहंशाह बाबा अवतार सिंह जी ने मिशन की विशेष सेवा के लिए घोषणा किये और 5 नवम्बर 1963 को सतगुरु के रूप में घोषीत करके खुद गुरूसिख वाले जीवन ब्यतीत किये !
  बाबा गुरुवचन सिंह जी अपने समय काल में निरंकारी मिशन में जो परिवर्तन ला दिए तो उन्हें युगप्रवर्तक-कहा जाने लगा !
 सबसे पहले हर ब्रांच ग्रामीण हो या शहर हर जगह नमस्कारी के लिए रशीद बुके दिये , ताकि महापुरसो की नमस्कारी की माया गुरु घर तक पहुचाई जा सके ! पहले प्रचारक अपने डायरी पर सन्तो की माया लिखते थे और डायरी लेकर दिल्ली में मिशन के कैशियर को दिखाकर ही जमा करते थे ! बाबा गुरुवचन सिंह जी ने ध्यान रखे कि बढ़ते मिशन में प्रचारकों के ऊपर कोई दाग न लग सके ! 
इसके बाद 3 महत्वपूर्ण कार्य किये !
 पहला (1965) और दूसरा (1973) मंसूरी कॉन्फ्रेन्स किए ! ☝जिसमे मिशन के सन्तो को नशे पर रोक लगा दी गई ,
समाजिक बुराइयों को देखते हुये ये फैसला लिया गया ,
फिजुलखर्ची से बचकर रहने के लिए सादा शादी पर जोर दिया गया !
 English Medium Satsang (ईएमएस)  पर जोर दिया गया !
 1965 में लुधियाना में कांफ्रेंस किये जिसमे नौजवानों को प्रचार में शामिल होने पर जोर दिया गया ! क्योकि जो काम बुजुर्ग सन्त ज्यादे समय मे करते हैं नौजवान जल्दी की कर देते ताकि समय की भी बचत हो !
 1966 में पहली बार दूर देशों की यात्रा शुरू हुई ! 10 देशों की यात्रा करते हुए देश मे भी गांव गांव शहर शहर हर प्रान्त प्रचार हेतु नही छोड़े !
☝बाबा गुरुवचन सिंह जी के मन का जज्बा इस सत्य के सन्देश को दुनिया के कोने कोने तक पहुँचाना था ! आज उनके आदर्शों को नमन करना है जो केवल प्रचार प्रसार ही नही बल्कि इस मिशन को जन जन तक पहुचाये !
 बाबा जी 1 बार कहे थे कि इस साध सङ्गत में आकर मेरी भी बैट्री चार्ज हो जाती है ! अपने गुरूसीखो की बैटरी चार्ज करने वाले गुरूसीखो को भी अहमियत देते थे ! बता रहे थे कि मन की एकाग्रता सत्संग में आने से ही निरंकार पर टिकती है !
 1 बार किसी ने कहा बाबा जी अब आप छोटी छोटी संगतों में न जाया करें !  बाबा जी बोले कि शीशा बड़ा हो या छोटा देखना तो उसमें अपनी शक्ल ही है ! सत्संग तो 1 आईना है जिसमे पता लगता है कि कौन कितना गुरु के वचनों को अपनाया है ! सत्संग को अहमियत दे , ये आत्मा की खुराक है , जब मन सत्संग में लगता है तो भक्ति वाले गुन दिखने लगते हैं ! जीवन मे विशालता , प्रेम ,नम्रता ,प्यार आ जाता है !
 शास्त्री जी को गुरु बच्चों को पढ़ाने की सेवा दी गई थी , 1 बार शास्त्री जी गुरु बच्चों को बता रहे थे कि परीक्षा आने वाली है , अब आप लोग खेल कूद ,टी बी देखना बन्द कर दे , और सत्संग जाना भी बन्द कर दे , बाबा गुरुवचन सिंह जी पीछे खड़े होकर सुन रहे थे तुरन्त बोले बच्चों शास्त्री की की सभी बातें मान लेना ठीक है मगर 1 बात मुझे पसन्द नही आई ! शास्त्री जी हाथ जोड़कर खड़े हों गए ,अरदास किये कौन सी बात हजुर तो बोले कि साध संगत में रोक नही होनी चाहिये , सत्संग में जाने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है , वहाँ समय बरबाद नही होता बल्कि सन्तो के आशीर्वाद मिलते हैं !
बाबा जी छोटी छोटी बातों के द्वारा  ही बड़ी बड़ी बातें भी समझा देते थे !
 1 बार 1 लडक़ी बाबा जी से पूछ बैठी कि 3 प्रण में किसी के  खाने पिने , पहनने ओढ़ने पर कोई एजराज नही है तो मुझे क्यो हम माडर्न कपड़े पहन कर आते हैं तो लोग मना करते हैं ?
बाबा जी बोले जिस प्रकार जब स्कूल जाती हो तो स्कूल ड्रेस ,खेलकूद में जाती हो तो दूसरा ड्रेस ,किसी मृत ब्यक्ति के यहाँ सफेद , शादी विवाह में खूब तड़क भड़क कपडे पहनती हो उसी प्रकार सत्संग में सादा सिम्पल कपड़ा पहन कर आने से किसी का भी ध्यान निरंकार से नही हटता है , सत्संग में सादगी जरूरी है , लड़की ने बाबा जी को मत्था टेका और अपनी भूल का एहसास हो गया !
गुरु की मर्यादा भी देखनी है , बाबा गुरुवचन सिंह जी मर्यादित जीवन जीने का ढंग भी सिखाये हैं ! उनके वचनानुसार हम सब आने जीवन को ढाल पाये तो यही हम सबके लिए सच्ची श्रंद्धाजली होगी !
चाचा प्रताप जी कहा करते थे कि जीयू तो गुरु के लिए , मरु तो गुरु के लिए ! और गुरु के प्रति अपनी तोड़ निभा  गए !
चाचा जी की पत्नी चाची जी से इंटरव्यू में पूछा गया कि इतनी जिम्मेवारी के साथ सेवा करते हुए घर की जिम्मेवारी कैसे उठाते थे ? तो बताई कि उनके रहते हुये मुझे कभी भी 1 पल भी एहसास ही नही हुआ कि घर का काम नही हुआ है , चाचा जी घर के कामो को भी संभालते थे , उनका जीवन सतगुरु के लिए पूर्ण समर्पित जीवन था !
 गुरूसिख का काम है केवल अपना अर्पण कर देवे ,
कहे "अवतार"गुरु का काम है खाली झोली भर देवे !