Thought
9:19 AM
बाबा जी और चाय वाले की साखी (Baba Ji)
यह
बात काफी पुरानी है | एक बार बाबा जी सत्संग करके आ रहे थे | रस्ते मैं
बाबा जी का मन चाय पिने को हुआ | उसनहो ने अपने ड्राइवर को कहा हमे चाय
पीनी है | ड्राइवर गाड़ी 5 स्टार होटल के आगे खडी कर दी बाबा जी ने कहाँ
नहीं आगे चलो यहाँ नहीं , फिर ड्राइवर गाड़ी किसी होटल के आगे खडी कर दी |
बाबा जी ने वह भी मना कर दिया |
काफी आगे जाके एक
छोटी सी दुकान मे बाबा जी ने कहाँ की यहाँ रोक दो यहाँ पे पितेय हैं चाय |
ड्राइवर चाय वाले के पास गया और बोले के अछि से चाय बनादो | जब दुकानदार
ने पैसों वाला गल्ला खोला तो उसमे बाबा जी क सरूप लगा हुआ था | बाबा जी का
सरूप देख कर ड्राइवर ने दुकानदार से पूछा के तुम इन्हे जानते हो कभी देखा
है इन्हे|
तो दुकानदार ने कहा के मेने इनको देखने
जाने के लिए पैसे इकठे किये थे जी वह सब चोरी हो गए | और मैं नहीं जा पाया
|और मुझे यकीन है के बाबा जी मुझे यही आ कर मिलेंगे | तो ड्राइवर ने कहा के
जाओ और चाय उस कार मैं दे कर आओ |
तो दुकानदार ने
बोला के अगर मैं चाय देने के लिए चला गया तो कहीं फिर से मेरे पैसे चोरी न
हो जाये | तो ड्राइवर ने कहा की चिंता मत करो अगर ऐसा हुआ तो मैं तुम्हारे
पैसे अपनी जेब से दूंगा | दुकानदार चाय कार मैं देने के लिए चला गया |
जब
वहां उसने बाबा जी के देखा तो हैरान हो गया | आँखों मैं आंसू तो बाबा जी
कहा के तूने कहा था के मैं तुम्हे यहीं मिलने आओं और अब मैं तुमको मिलने
आया हूँ तो तुम रो रहे हो |
इतना प्यार था उस आदमी के
अन्दर आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे | जब मन सच हो और इरादे नेक हो
तो भगवन को भी आना पड़ता है | अपन भगत के लिए | आप भी बाबा जी को दिल से
याद करा करो बाबा जी आपकी भी बात सुनेगे |
🏻धन निरंकार जी🏻