जीवनसाथी – सद्गुरु बाबा हरदेव सिंह जी
पिता – मनमोहन सिंह जी
माता – अमृत कौर जी
जन्म – 12 जनवरी 1957
जन्म स्थान – रोहतक, दिल्ली
उपाधि- संत निरंकारी मिशन प्रमुख (सद्गुरु)
सदगुरु माता सविंदर हरदेव जी
सदगुरु माता सविंदर हरदेव जी संत निरंकारी मिशन की प्रमुख हैं 13 मई, 2016 को कनाडा में कार दुर्घटना में मिशन के पूर्व प्रमुख व सद्गुरु बाबा हरदेव सिंह जी महाराज के इस सर्वशक्तिमान निरंकार में ब्रह्मलीन हो जाने के बाद संत निरंकरी मिशन की कमान माता सविंदर हरदेव जी को सद्गुरु के रूप में सौंपी गयी । चूँकि इस से पहले मिशन में कोई महिला प्रमुख नहीं बनीं इसलिए वे निरंकारी मिशन की पांचवी प्रमुख के साथ साथ मिशन की पहली महिला प्रमुख भी बनीं माता सविंदर सामाजिक कार्य और मानव कल्याण के हित के लिए लगातार भक्तो के साथ प्रेम-भाव, आदर-सत्कार और विश्व भाईचारे के लिए निरंतर कार्यरत हैं।
माता सविंदर जी का बचपन
माता सविंदर हरदेव जी का जन्म 12 जनवरी 1957 को रोहतक, दिल्ली में मनमोहन सिंह जी और अमृत कौर जी दंपत्ति के घर में हुआ तथा बाद में आपकी पूरी फॅमिली यमुनानगर शिप्ट हो गयी फिर श्री गुरमुख सिंह जी और मदन माता जी ने आपको गोद लिया और आपको फर्रुखाबाद ले आये यह इसलिए संभव हुआ क्योंकि दोनों परिवार निरंकारी मिशन से जुड़े हुए थे। मगर उस वक़्त शायद उनको भी पता नहीं रहा होगा की वे किस सितारे को अपने घर ले आ रहे हैं । उनकी कोई संतान ना थी इसलिए आपने उनकी गोद भरी और उनको जीने का सहारा दिया। यह सारा काम शहन्शा बाबा अवतार सिंह जी के शुभ आशीर्वाद से हुआ। आपका बचपन बहुत ही सरल और सच्चा था।
माता सविंदर जी की शिक्षा
माता सविंदर हरदेव जी की प्राथमिक शिक्षा फार्रुखाबाद में हुई, उसके बाद 1966 मे आपने मसूरी के एक Irish Institute, Convent of Christian and Mary में दाखिला लिया और वहां से आपने 1973 में senior Secondary की शिक्षा हासिल की आप बचपन से ही एक प्रतिभाशाली छात्र रही हैं यही कारण है की आपके हर विषय में 90% से अधिक अंक आते थे। senior secondary level, में आपने अंग्रेजी भाषा और साहित्य के अलावा, जिन विषयों पर अध्ययन किया उनमें इतिहास, भूगोल, हिंदी और मानव और सामाजिक जीव विज्ञान शामिल हैं ।माता सविंदर जी के स्कूल की शिक्षिका Ms. P. Dias और Mrs. Beena Bhardwaj जी आपके बचपन के दिनों को याद करते हुए कहते हैं की आप बहुत प्रतिभाशाली और मेहनती छात्रा रही हैं और अआपने इसी प्रतिभावान व्यक्तित्व से अपने हर शिक्षक का दिल जीता है आप अपनी उच्च शिक्षा के लिए बाद में दिल्ली आयी और दौलत राम कोलेज से अपनी उच्च शिक्षा हासिल की ।
वैवाहिक जीवन
14 नवंबर, 1975 को दिल्ली में 28 वें वार्षिक निरंकारी संत समागम की पूर्व संध्या पर, आप ने एक साधारण समारोह में बाबा हरदेव सिंह जी से शादी की थी और सफ़र में हमसफ़र जुड़ गया । और इस तरह, आप बाबा गुरबचन सिंह जी और निरंकारी राजमाता कुलवंत कौर जी के पवित्र परिवार का हिस्सा बन गयीं। इसी साल विश्व मोक्ष दौरे पर आप जी ने बाबा हरदेव सिंह जी बाबा गुरबचन सिंह और राजमाता जी के साथ , इटली, स्विटजरलैंड, फ्रांस, बेल्जियम और आस्ट्रिया का दौरा किया और साध सांगत का की सेवा की ।सही दिशा ही सही दशा | निरंकारी विचार
फिर साल 1976 में आप जी को फिर से दुनिया भर के संतो की सेवा करने का मौका और साध सांगत का रस अपने जीवन में उतारने का मौका मिला जिसका अपने खूब आनंद उठाया । और आप जी ने फिर से बाबा हरदेव सिंह जी बाबा गुरबचन सिंह और राजमाता जी के साथ कुवैत, इराक, थाईलैंड, हांगकांग, कनाडा, अमरीका, ऑस्ट्रिया और ब्रिटेन दो महीने का विश्व मोक्ष दौरा किया जहाँ से अपने साध सांगत से खूब शिक्षा ग्रहण की और साध सांगत का आशीर्वाद प्राप्त किया ।
फिर 1980 में एक दुखदाई घडी आई और और हिंसक प्रवृति के लोगो ने दुनिया में शांति और सद्भावना फ़ैलाने वाले शांतिदूत और एक महापुरुष बाबा गुरुबचन अवतार की हत्या कर दी जिस से पूरा निरंकारी समुदाय में शोक की लहर दौड़ उठी और एक एक घोर सन्नाटा छा गया फिर 1980 को जब बाबा हरदेव सिंह जी को छोटी सी उम्र में इतनी गुरुगद्दी सौंपी गयी तब से साध संगत ने आप जी को पूज्य माता जी का दर्जा दे दिया ।
बाबा हरदेव के साथ अध्यात्मिक सफर
बाबा जी को सद्गुरु मान कर और आपको पूज्य माता जी मानकर हर निरंकारी भक्त मंच पर आप से आशीर्वाद प्राप्त करने लगा और आप बाबा जी और राज माता जी के साथ हर सफ़र में हर मंच पर हर कार्यक्रम में शामिल होने लगीं और बाबा जी के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर निरंकारी मिशन और इस निराकार के प्रचार-प्रसार में लगीं ।
अध्यात्मिक सद्गुरु और शिष्य का रिश्ता
जब भी कोई महात्मा घर पर बाबा जी को मिलने के लिए आता तो माता सविंदर जी उनका खूब खयाल रखती और और गृहणी की तरह उनके साथ पेश आती न अपने कभी खुद पर मान किया अभिमान नहीं किया । यह हम निरंकारी भक्तो की खुशकिस्मती है की हमको आप जैसी सद्गुरु माँ मिली । आप हमेशा खुद को पहले बाबा जी की शिष्या बताती है और बाकि रिश्तो को बाद में ,आपकी यह सोच आपके उच्च व्यक्तित्व को दर्शाती है । फिर आप जी के घर में तीन लक्ष्मियाँ और holly daughter समता जी, सुदीक्षा जी, और रेणुका जी भी आई जो आपकी ही तरह सुंदर शुशील हैं और हर वक़्त अपने निरंकारी भाई बहनों का ख्याल रखती हैं
माता सविंदर जी ने बाबा हरदेव के साथ भक्तो के दूर दूर के इलाको का दौरा भी किया और उन भक्तों के छोटे-छोटे घरों में भोजन भी किया।
बाबा हरदेव जी के ब्रह्मलीन होने पर संतो को संभाला
जब 13 मई 2016 की वो घडी आई जब कनाडा के एक सड़क हादसे में जब बाबा हरदेव
सिंह जी अपने नश्वर शरीर को त्यागकर ब्रह्मलीन हुए तो उस पल निरंकारी
समुदाय में एक बार फिर से सन्नाटा पसर गया और फिर से शोक की लहर दौड़ पड़ी
चारो और मातम ही मातम फ़ैल गया फिर बाबा जी की अंतिम यात्रा 18 मई 2016 को
हुई।

आपका (माता सविंदर जी) जीवन हम सभी के लिए एक प्रेरणा का श्रोत है आपके प्यार और आपके आदेशो के अनुसार हर एक गुरसिख को चलना आ जाये दास यही अरदास करता है ।
धन निरंकार जी
NIRANKARI DUNIYA